poem

December

Sakshi Verma Sakshi Verma December 30, 2023 | 1 minute
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December

आखिरी महीने में सिर्फ़ साल नहीं जाता
चला जाता है वो पल जिसे बहुत संभालना चाहा
चला जाता है वो लम्हा जिसे बहुत भुलाना चाहा
चला जाता है किसी का अपना , किसी का अपनापन
ये आखिरी महीना भी न बहुत कुछ ले जाता है
कभी तोड़ जाता है, कभी छोड़ जाता है
ज़िंदगी की राह का फिर नया मोड़ आता है
दिसंबर यूही नहीं नया साल लाता है
लाता है नयी उम्मीदें नया अरमान
नए पंख छूने को आसमान
लाता है साहस फिर आगे बढ़ जाने को
जो बीत गया उसे भूल जाने को
दिसंबर खुद खत्म हो कर नया साल लाता है।

Sakshi Verma
by Sakshi Verma
Sakshi is a 2021 batch student of Government Medical College, Ratlam.

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